अपराधी जब किसी अपराध को अंजाम देने जा रहा होता है तो वह बहुत समय पहले से ही उसकी योजना बनाना शुरू कर देता है. किसी की हत्या करनी हो या फिर लूट-पाट, अधिकांश मामलों में इससे संबंधित रणनीति बहुत पहले ही बना ली जाती है. लेकिन क्या कभी आपने यह सुना है कि कोई व्यक्ति आत्महत्या करने से पहले यह रिसर्च करे कि उसे कब और किस तरीके से मरना चाहिए?
ग्वालियर का रहने वाला प्रतीक एक ऐसा ही शख्स था जिसने अपने मरने से पहले ही यह लिख दिया था कि मैं दस दिन बाद मर जाउंगा!! कमरे की तलाशी लेते समय पुलिस को प्रतीक का लैपटॉप मिला जिसमें मौजूद दस्तावेजों में यह साफ प्रदर्शित हो रहा था कि आत्महत्या करने से पहले उसने बहुत विचार किया था कि आत्महत्या करने के लिए कौन सा तरीका अचूक हो सकता है जिसके बाद बचने की कोई संभावना ही ना रह जाए.
ट्रिपल आइटीएम एक छात्र प्रतीक के लैपटॉप के आधार पर पुलिस का कहना है कि उसने आत्महत्या के संदर्भ में यह भी शोध किया था कि किस तरीके से मरने से कितना दर्द होगा और किससे शर्तिया मौत हो जाएगी.
प्रतीक के लैपटॉप में सबसे पहले हाथ के नस काटकर सुसाइड करने का उल्लेख किया है. उसने लिखा है कि हाथ की नस काटने के बाद आठ-दस घंटे तक खून निकलता है जिसके बाद मौत निश्चित है. लेकिन अगर ब्लड थिनर का प्रयोग किया जाए जिससे खून पतला होने लगता है तो मौत पहले भी हो सकती है. प्रतीक ने लिखा कि अगरमै ऐसा करुंगा तो हॉस्टल के आखिरी बाथरूम में करूंगा क्योंकि वहां ज्यादा लोग नहीं आते. लेकिन कहीं किसी ने मुझे देख लिया तो मुझे अस्पताल में भर्ती करा दिया जाएगा और अगर मैं बच गया तो मेरी जिंदगी बेकार हो जाएगी, क्योंकि मैं कॉलेज से निष्कासित कर दिया जाऊंगा.
इस तरीके को असफल समझते हुए प्रतीक ने आत्महत्या करने का दूसरा तरीका लिखा अगर मैं ग्वालियर के किले से कूदूंगा तो इससे जान जा सकती है. मैं अपने दोस्तों के साथ किले पर जाऊंगा. फोटो खिंचवाने के लिए किले के किसी किनारे पर खड़ा हो जाऊंगा और धीरे से नीचे की ओर छलांग लगा दूंगा. देखने वालों को लगेगा कि मैं फिसल कर गिर गया हूं. किसी को नहीं लगेगा कि मैंने आत्महत्या की है. किले से कूदने पर बीच में ही हार्ट-अटैक हो जाएगा और नीचे गिरने पर दर्द भी महसूस नहीं होगा.
हाथ की नस काटने और किले से कूदने के बाद प्रतीक ने पंखे से लटककर आत्महत्या करने का भी उल्लेख किया है. आत्महत्या करने जैसी अजीब शोध के बाद प्रतीक का शव अपने कमरे में फांसी के फंदे पर ही लटका मिला था. हालांकि उसके परिवार वाले प्रतीक के लैपटॉप में मिले लिखित दस्तावेजों को उसका नहीं मान रहे हैं. उनका कहना है कि प्रतीक ने आत्महत्या नहीं की है.
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