विश्व पटल पर भारत की छवि एक ऐसे देश की है जो हमेशा से अपनी परंपराओं और मान्यताओं के विषय में गंभीर रहा है. आमतौर पर यही समझा जाता है कि भारतीय प्रथाएं चाहे कितनी ही क्रूर या जटिल क्यों ना हों फिर भी पूरी तन्मयता के साथ उनका पालन किया जाता है.
लेकिन अगर आप भी ऐसा ही कुछ सोचते हैं तो आपको अपनी जानकारी के क्षेत्र को थोड़ा विस्तारित करने की आवश्यकता है. क्योंकि भले ही भारत में अनेक जटिल परंपराएं विद्यमान हैं या रही हों लेकिन भारत के पड़ोसी देश चीन में व्याप्त सदियों पुरानी परंपराएं किसी को भी हैरान करने के लिए काफी हैं.
आपको यह जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि एक लंबे समय तक चीन में फुट बाइंडिंग नाम से एक ऐसी अमानवीय प्रथा विद्यमान थी जिसके अंतर्गत बचपन में ही महिलाओं के पैर को इस तरह बांध दिया जाता था ताकि वह ज्यादा ना बढ़ सके. उल्लेखनीय है कि पौराणिक चीनी मान्यताओं में महिलाओं के छोटे पैरों को ही सुंदरता की पहचान समझा जाता था. इसीलिए महिलाओं की सुंदरता बनाए रखने के लिए उनकी फुट बाइंडिंग की जाती थी.
फुटबाइंडिंग नामक यह प्रथा 10वीं से 20वीं शताब्दी तक प्रचलित रही. इसके अंतर्गत 6 वर्ष या उससे भी छोटी आयु में लड़कियों की फुटबाइंडिंग की जाती थी. फुटबाइंडिंग के कारण महिलाओं के पैर 4-5 इंच से ज्यादा नहीं बढ़ पाते थे. लंबे समय तक प्रचलित इस प्रथा के कारण कई महिलाएं अपंगता की शिकार हो गईं क्योंकि उनके पैरों का सही विकास नहीं हो पाया था.
फुटबाइंडिंग की शुरूआत में सबसे पहले दोनों पैरों को जानवरों के रक्त और विभिन्न जड़ी बूटियों के गर्म मिश्रण में भिगोया जाता था. इसके बाद बच्चियों के पैर के नाखूनों को जितना हो सकता था काटा जाता था. मिश्रण में भीगे पैरों की कुछ देर तक मालिश की जाती थी उसके बाद पैर की सभी अंगुलियों को अमानवीय तरीके से तोड़ दिया जाता था. अंगुलियां तोड़ने के बाद उस मिश्रण में भिगोई एक इंच चौड़ी और दस फीट लंबी रस्सी से उनके पैरों को बांध दिया जाता था. बांधने के दौरान यह बात ध्यान रखी जाती थी कि टूटी अंगुलियों की दिशा एड़ी की तरफ हो ताकि पैर का विकास ना हो पाए.
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