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मानव मस्तिष्क को काबू करने वाला वायरस !!

virusआपने ई-मेल, पासवर्ड या मैसेज हैक करने वाले वायरस के बारे में काफी देखा और सुना होगा. हो सकता है आप में से कई लोग इस हैकिंग का शिकार भी हुए हों. लेकिन कभी आपने सोचा है कि कोई आपकी सोच, आपके विचारों को ही हैक कर ले तो क्या होगा? अगर वैज्ञानिकों की बात मानें तो जिस गति से विज्ञान और तकनीकों का विकास हो रहा है, वह दिन भी दूर नहीं जब व्यक्ति का दिमाग भी इन हैकरों की पकड़ में आ जाएगा.


वैसे तो ऐसी कथाएं आपने फिल्मों और काल्पनिक धारावाहिकों में काफी बार देखी होगी जब कोई सनकी वैज्ञानिक जीवित व्यक्ति के दिमाग को अपने अधीन कर लेता है और व्यक्ति उसके कहे अनुसार काम करने लगता है. लेकिन जल्द ही यह कल्पना हकीकत में तब्दील हो सकती है. वैज्ञानिकों ने पूरी उम्मीद जताई है कि ऐसा संभव है कि एक दिन ऐसा वायरस इजाद किया जाए जो आपके दिमाग में प्रवेश कर आपकी हर हरकत को बदल दे. दिमाग भले ही आपका हो लेकिन उसका उपयोग कोई और करने लगे.


हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिक एंड्र्यू हैसल ने यह चेतावनी जारी की है कि अगर सिंथेटिक बायोलॉजी में दिन-रात ऐसी ही प्रगति होती रही तो अंजाम काफी भयानक हो सकते हैं.


सिंथेटिक बायोलॉजी, बायोलॉजिकल रिसर्च के नवीन क्षेत्रों में से एक है. इस रिसर्च में साइंस और इंजीनियरिंग दोनों का प्रयोग होता है. पिछले साल एक प्रख्यात बायोलॉजिस्ट क्रेग वेंटर ने एक बैक्टीरिया में सिंथेटिक डीएनए डालकर एक कृत्रिम जीव बनाने का कामयाब प्रयोग किया था. हो सकता है भविष्य में बनने वाले खतरनाक वायरस भी इस प्रक्रिया द्वारा ही बनाए जाएं.


human virusसिंथेटिक बायोलॉजी इस समय कंप्यूटर से भी ज्यादा तेज गति से विकास कर रही है. हो सकता है कुछ समय बाद लोगों का डीएनए प्रिंट करना आसान हो जाए. मनुष्य कंप्यूटर द्वारा चालित होंगे और अपने मार्ग में आने वाली सभी बाधाओं को पार कर सकेंगे.


हैसल का कहना है कि ऐसे वायरस इंजेक्शन की सहायता से बेहद आसानी और सुविधा पूर्वक इंसानी शरीर में प्रवेश कर सकेंगे. लेकिन साथ ही यह बहुत फायदेमंद भी होगा क्योंकि इसकी मदद से हम इंसानी जीनोम बना सकते हैं जिनकी सहायता से इंसानी अंगों को क्लोन करना और तमाम बीमारियों पर लगाम लगा पाना आसान हो जाएगा.


वैज्ञानिकों का कहना है कि सिंथेटिक बायोलॉजी का प्रयोग अच्छे के लिए भी हो सकता है और बुरे के लिए भी. हमेशा की तरह इस बार भी हमारे सामने बुराई से बचते हुए इस तकनीक का प्रयोग मानवता के हित में करने की चुनौती होगी.


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