प्रलय या कयामत का दिन, शब्द भले ही अलग हों लेकिन दोनों का आशय दुनियां के भयावह अंत से है. हिंदू धर्म के अनुसार कलयुग की समाप्ति के बाद प्रलय का दिन आएगा जब सब कुछ समाप्त हो जाएगा, पूरी दुनियां विनाश के साए में सिमट जाएगी. वहीं दूसरी ओर इस्लाम और ईसाई धर्म में भी कयामत या द डे ऑफ जस्टिस (जब सभी लोगों के पाप और पुण्यों का हिसाब किया जाएगा) का उल्लेख किया गया है.
दुनियां के विनाश के लिए पहले मई 2011 का समय निश्चित किया गया था लेकिन अब 21 दिसंबर, 2012 को वैज्ञानिक तौर पर प्रलय या कयामत के दिन पर मोहर लगा दी गई है. जानकारों का मानना है कि जितनी बार भी पृथ्वी का निर्माण हुआ है किसी में भी 12 दिसंबर, 2012 के आगे की तारीख के कोई अवशेष नहीं मिले हैं. माना जाता है कि इससे पहले तीन बार पृथ्वी का निर्माण हुआ है और तीनों बार दुनियां इसी तारीख पर आकर समाप्त हुई है.
दुनिया के अंत के संबंध में समय-समय पर कई प्रकार की भविष्यवाणियां की जाती रही है. इससे पहले 21 मई, 2011 को दुनिया के विनाश का दिन बताया जा रहा था लेकिन यह बात झूठी साबित हो गई. लेकिन अब माया कैलेंडर के आधार पर 21 दिसंबर, 2012 को दुनियां का आखिरी दिन मान लिया गया है. कहते हैं इस कैलेंडर में 21 दिसंबर, 2012 के बाद किसी भी तारीख का वर्णन नहीं है, जिसके बाद यह अनुमान लगाया जा रहा है कि दुनियां अब समाप्ति की कगार पर है.
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क्या है माया कैलैंडर ?
माया सभ्यता अमेरिका की प्रचीनतम सभ्याताओं में से एक है. करीब 250 से 900 ईसा पूर्व ग्वाटेमाला, मैक्सिको, होंडुरास तथा यूकाटन प्रायद्वीप में यह सभ्यता स्थापित थी. ऐसी मान्यता है कि माया सभ्यता के काल में गणित और खगोल के क्षेत्र उल्लेखनीय विकास हुआ था और अपने अद्भुत ज्ञान के आधार पर माया लोगों ने एक कैलेंडर बनाया था, जिसे माया कैलेंडर कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि उनके द्वारा बनाया गया कैलेंडर इतना सटीक निकला है कि आज की आधुनिक तकनीकें और वैज्ञानिक सुविधाएं उसकी गणनाओं में सिर्फ 0.06 तक का ही फर्क निकाल सकी हैं. माया कैलेंडर के अधिकांश आंकलन, जिनकी गणना हजारों सालों पहले की गई थी, आज के समय में सही साबित हुए हैं. माया सभ्यता के लोगों की मान्यता थी कि जब उनके कैलेंडर की तारीखें खत्म होती हैं, तो धरती पर प्रलय आता है और नए युग की शुरुआत होती है और अवशेष में प्राप्त माया कैलेंडर की अन्तिम तारीख 21 दिसंबर, 2012 है. जिसके आधार पर यह माना जा रहा है कि 21 दिसंबर, 2012 को पृथ्वी का विनाश हो जाएगा. विश्व प्रसिद्ध भविष्यवक्ता माइकल द नास्त्रेदम्स ने भी धरती के 2012 में तबाह होने की भविष्यवाणी की है, जो माया कैलेंडर की धारणा को और मजबूती प्रदान कर रही है.
कयामत या प्रलय कब आएगा यह कहना थोड़ा मुश्किल ही है. माया कैलेंडर और माइकल द नास्त्रेदम्स से पहले भी दुनियां के समाप्त होने जैसी भविष्यवाणियां की जाती रही हैं. लेकिन दुनिया का अंत कैसे होगा? क्या विनाशलीला आएगी? ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब आज भी खोजे जा रहे हैं.
काफी समय पहले इटली के माउंट वैसुवियस जैसे ज्वालामुखी के धधकते ही रोमन साम्राज्य की नींव हिल गई थी. इस ज्वालामुखी के फटने से हजारों लोग मारे गए थे और पोम्पी और हरक्यूलेनियम शहर तबाह हो गए थे. इस विनाशलीला और चारों ओर होती तबाही को देखते हुए लोगों ने यह मान लिया था कि दुनियां का अंत अब बहुत नजदीक आ गया है.
16वीं शताब्दी में भी ब्रिटेन में कई बार प्लेग जैसी बीमारी का कहर फैला. लेकिन 1665 का प्लेग सबसे भयंकर था. लगभग पूरा लंदन शहर इसकी चपेट में आ गया था. बार-बार प्लेग के फैलने से लोगों ने यह समझ लिया था कि अब दुनियां समाप्ति की कगार पर है.
सन् 1910 में विशाल हैली धूमकेतु धरती के समीप से गुजरा था. कई यूरोपीय और अमेरिकी लोगों ने इस कथा पर यकीन कर लिया था कि इस धूमकेतु की पूंछ से गैसों का रिसाव हो रहा है और इससे पृथ्वी का वातावरण प्रदूषित होगा और इसी वजह से एक दिन दुनियां खत्म हो जाएगी.
दुनियां के विनाश से जुड़ी लगभग सभी भविष्यवाणियां गलत ही साबित हुई हैं. कुछ समय पहले मई 2011 को दुनियां का अंतिम दिन कहा गया था. यह भविष्यवाणी भी गलत साबित हुई. अब इंतजार है माया कैलेंडर द्वारा की गई भविष्यवाणी का जिसके अनुसार 21 दिसंबर, 2012 को दुनियां समाप्त हो जाएगी.
शरीर छोड़ने के बाद भी नहीं मिलती आत्मा को शांति
आखिर क्या है पुनर्जन्म की पहेली !!
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